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मन'क घात हम सहिते रहब / भास्करानन्द झा भास्कर

मन'क घात हम सहिते रहब
अपन बात हम कहिते रहब

जिनगी झकड़ल सुन्नर फ़ूल
देह'क पात हम झपिते रहब

रुसल हर्ख बैसल एक कात
दुख'क लात हम सहिते रहब

धर्मभूमि बनल छै पाप स्थल
पुण्यक लेल हम लड़िते रहब

मित्र चरित्र विचित्र छै चर्चित
सत्यक चित्र हम रचिते रहब