भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मनुज कुछ धन में जिनके प्राण / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
मनुज कुछ, धन में जिनके प्राण,
जिन्हें निज नृप कुल का अभिमान!
उमर कुछ वे, जो विद्यावान,
चाहते यश पूजन सम्मान!
व्यक्ति ऐसे भी, जिनका ध्यान
स्वर्ग पर, करते जप तप दान,
हटेगा आँखों से व्यवधान,
सभी ये सुरा विमुख, अज्ञान!