भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मनुष्य जब करते हैं प्यार / विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ / वरयाम सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मनुष्‍य जब प्‍यार करते हैं
वे अपनी आँखें फैलाते हैं
और आहें भरते हैं ।

जानवर जब प्‍यार करते हैं
उड़ेल देते हैं उदासी आँखों में
और झाग से बनाते हैं लगाम का दहाना ।

सूर्य जब प्‍यार करते हैं
ढक देते हैं रातों को पृथ्‍वी से बने वस्‍त्र से
और जाते हैं मित्रों के पास नृत्‍य करते हुए ।

देवता जब प्‍यार करते हैं
कीलित कर देते हैं ब्रह्माण्ड के कम्पन को
जैसे पूश्किन ने किया था
वलकोंस्की की नौकरानी की प्रेमाग्नि को ।

1911

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब रूसी भाषा में यही कविता पढ़िए
           Велимир Хлебников
         Люди, когда они любят

Люди, когда они любят,
Делающие длинные взгляды
И испускающие длинные вздохи.

Звери, когда они любят,
Наливающие в глаза муть
И делающие удила из пены.

Солнца, когда они любят,
Закрывающие ночи тканью из земель
И шествующие с пляской к своему другу.

Боги, когда они любят,
Замыкающие в меру трепет вселенной,
Как Пушкин — жар любви горничной Волконского.

1911 г.