भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मनुष्य देवता / सुधेश
Kavita Kosh से
भारत की जनसंख्या थी जब
तैतीस करोड़
तब उतने ही थे देवता
आज सवा सौ करोड़ में
कितने देवता है ?
शायद कुछ तो होंगे ही
पर लगता है कि
आज अधिक हैं राक्षस
जैसे मुद्रा-राक्षस
अर्थात मुद्रा के पीछे राक्षस
ब्रह्मराक्षस
जो ब्रह्म हो के राक्षस
बुद्धि राक्षस
अर्थात बुद्धिजीवी वेष में राक्षस
पर उन के नाम मात्र आवरण हैं
आचरण राक्षसी
पर भारत सरकार कराती कभी-कभी
जनगणना ।