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मनुष्य / ओम पुरोहित ‘कागद’

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ऐडी से
चोटी तक
पहनने के लिए
कपडे़ हैं
फ़िर भी
मनुष्य नंगे
कितने तगडे़ हैं !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"