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मनौती गीत / 1 / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जाजम राळी भाई खड़ा रहिया, कुण हेड़ऽ मन की भरात।
पाँची पांडव मऽ रहिया उनका लखपति भाई।।
उऽ हेड़ऽ मन की भरात।।
पगलिया मांडिया बेन खड़ा रहिया, कुण हेडे़ऽ मन की भरात।
पांची पांडव मा रहिया... मारा जाया बिराजे।।
उऽ हेड़ऽ मन की भरात।।

-महादेव जी को मान देने पहुँचे, वहाँ बैठने के लिए जाजम बिछाई। सभी लोग
जो मानता देने आए हैं उनमें से कौन अपने मन की इच्छा पूरी करेगा यानी
कौन पूजा-अर्चना कर महादेवजी को भेंट देगा?

गीत में कहा गया है कि-बालक के मामा भेंट देकर अपने मन की इच्छा पूर्ण
करेंगे। वैसे जो भी मान में आमंत्रित हैं सभी पूजा-अर्चना भगवान की करते हैं
और भेंट देते हैं। बालक को भी यथाशक्ति भेंट देकर प्रसन्नता प्रकट करते हैं।