मन्दार-मधुसूदन महिमा / भाग ४ / महेश्वर राय
सुन्दर मन्दर गिरि....
अमरित पीबी-पीबी देवता बलशाली भेलै
मदिरा के नशवा से दैतवन के बल गेलै
हेना करि देवता जितावै मधुसूदना॥31॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
भेषबदली इन्द्रदेव अहिल्या के शील लेलकै
कुपित गौतम रिसि पत्नी कै पाषाण कैलकै
रामरूप अहिल्या उधारै मधुसूदना॥32॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
रिसि शाप परि गेलै, इन्द्र भगवती भेलै
सहस्रभगधारी काया, महेन्द्र के मान गेलै
देवराज मन्दर नुकावै मधुसूदना॥33॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
ब्रह्माजी प्रसन्न भेलै सुरगण स्तुति से
मन्दर पावन कैलै यज्ञकुण्ड निर्मिति से
इन्द्र पापहरणी लहवावै मधुसूदना॥34॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
तड़के लहाय करि कुण्ड पापहरणी में
यज्ञ श्रीगणेश कैलै पुण्य पुष्करणी में
देवराज पाप से छोड़ावै मधुसूदना॥35॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
वोही दिन से साले-साल मकर महिनमा में
लागै छै संक्रान्ति मेला मन्दर मैदनमा में
मंदर के मान बढ़ावै मधुसूदना॥36॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
अनगिन भगतवा जे पापहरणी स्नान करे
पूरा करी मन्दरारोहण नरैना के ध्यान करे
पाप-शाप-मुक्त करावै मधुसूदना॥37॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
एक बेर द्वापर युग में कन्हैया मन्दार ऐलै
”मेघदूत“ दनुजवा कै बाराहरूप अन्दर पैलै
दैतवन सों नटवर घेरावै मधुसूदना॥38॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
नारायणी सेना के सृजन कैलकै लीलाधारी
घमाशान युद्ध भेलै, दानवन की सेना हारी
मेघदूत पर सुदर्शन चलावै मधुसूदना॥39॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
कुण्ड पापहरणी में गिरि परलै मेघदूत
जल पुष्करणी में भई गेलै परम पूत
विष्णुलोक दनुजवा पठावै मधुसूदना॥40॥