भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मन्नत का धागा / अनिता ललित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम का धागा
लपेट दिया है मैनें
तुम्हारे चारों ओर.…
तुम्हारा नाम पढ़ते हुए...
तुमसे ही छुपा कर!
और बाँध दी अपनी साँसें...
मज़बूती से सभी गाँठों में!
अब मन्नत पूरी होने के पहले...
तुम चाहो तो भी उसे खोल नहीं पाओगे...
बिना मेरी साँसों को काटे …!