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मन्नू जी, नाराज हो? / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो?
तुम तो भैया, हम सबके सरताज हो!
फिर क्यों मन्नू जी, इतने नाराज हो?
मन्नू जी, अब आओ न, संग-संग खेलो,
आगे बढ़कर बाँहों में बाँहें ले लो।
मन्नू जी, हर मुश्किल को पीछे ठेलो,
मन्नू जी, हर बाधा को हँसकर झेलो।
भूलो सारे दर्द-तराने, मन्नू जी,
भूलो सारे गीत पुराने, मन्नू जी।
मत लेटो अब लंबी ताने, मन्नू जी,
उठकर चल दो फिर कुछ पाने, मन्नू जी।
ठीक करो सब ताने-बाने, मन्नू जी,
ताजा कर लो फिर पहचानें, मन्नू जी।
थोड़ा खिल-खिल हँस दो, प्यारे मन्नू जी,
तारों के संग नाचें तारे, मन्नू जी।
पता नहीं इन बातों में क्या राज हो?
मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो?