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मन का रिश्ता है / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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माना धागे टूट गए हैं
संगी साथी छूट गए हैं
विश्वास यही रखना मन में
हम तुमसे कभी न छूटेंगे।

जिनको भाता नफ़रत करना
हित-साधन ही जीना -मरना
जब तक उनका साथ रहेगा
वे तो हरदम सब लूटेंगे ।

जो मतलब के मीत रहे थे
टूट जाएँगे कुछ से नाते
तुमसे तो मन का रिश्ता है
न किसी के तोड़े टूटेंगे।

कुछ कच्चे घट फूट गए हैं
कुछ सपने भी रूठ गए हैं
ईश्वर की तो ईश्वर जाने
हम तुमसे कभी न रूठेंगे।