मन के मीठे सपनों का / हरिवंश प्रभात
मन के मीठे सपनों का, भी मन तुम्हारा हो,
ऐसा धन अर्जित करो, जो धन तुम्हारा हो।
ज़िंदगी का लक्ष्य समझो, राह भी बदला करो
एक पल का मोल समझो, चाह भी बदला करो,
हो नज़रिया खूबसूरत, जीवन तुम्हारा हो।
ऐसा धन अर्जित करो......
सबके सुख में अपना सुख, सबके दुःख में अपना दुःख
जब पड़े उपकार करना, मोड़ना नहीं अपना मुख,
जिसमें देखो स्वयं को दर्पण तुम्हारा हो।
ऐसा धन अर्जित करो......
ज़िंदगी की लहरों पर, तुम मुस्कुराना सीख लो
प्यार करके गैर को अपना बनाना सीख लो,
बाँध लो धरती और नभ, बंधन तुम्हारा हो।
ऐसा धन अर्जित करो......
दूसरों को जो खिला खाता, वही है खिलखिलाता
जो हृदय रखता बड़ा-सा दूसरों से दिल मिलाता,
भावना में सबकी जय, जन-गण तुम्हारा हो।
ऐसा धन अर्जित करो.......
स्वार्थ को देना जगह, है निमंत्रण नाश का
शब्दों से ज़्यादा अनुभव प्राप्त कर प्रकाश का,
सबको बोलो आँखें खोलो, निवेदन तुम्हारा हो।
ऐसा धन अर्जित करो......