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मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मैं साइकल तो घुमाया करूं
एक मन कहै मोटर कार मैं चलाया करूं
रै मन डटदा कोन्यां डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मेरे पांच सात तो छोहरे हों
एक मन कहै सोना चांदी भी भतेरे हों
मन डटदा कोन्यां डाटूं सूं रोज भतेरा