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मन बँधते ही मरा काठ तन धीरे-धीरे नष्ट हुआ / विनय कुमार
Kavita Kosh से
मन बँधते ही मरा काठ तन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।
साँपों के पहरे में चंदन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।
बादल तो अब भी घिरते हैं बारिश अब भी होती है
अम्मा क्यों कहती है सावन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।
ठूंठ समय है प्रभुताओं की उंगलियाँ अब नहीं रहीं
उठ जाने वाला गोवर्धन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।
समय मिला इतना कि सुरक्षित निकल गया तक्षक वन से
धीरे-धीरे धुआँ उठा वन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।
डिनर सेट के बिखरे टुकड़ों के बरक्स इसको देखें
पीतल का इकलौता बर्तन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।
अच्छी बातें बुरे इलाकों में दिखती तो रहती हैं
तुम कहते थे हर अच्छापन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।
नाच सीखते रहते तो आँगन भी सीधा हो जाता
छोड़ गया टेढ़ापन, आँगन धीरे-धीरे नष्ट हुआ।