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मन बिलमावां / मधु आचार्य 'आशावादी'

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आवो,
आपां आपसरी में ई बातां करां
थूं म्हनै कीं झूठ सुणा
म्हैं थनैं कीं झूठी बातां कैवूं
दोनूं अेक -दूजैं रो
मन बिलमावां।
गळै मिलां
हाथ मिलावां
जोर-जोर सूं हंसी सुणावां
फेरूं न्यारा-न्यारा हुय जावां
न्यारा हुवतां ई
अेक-दूजै नै जाय ‘र
खरी-खोटी सुणावां
आ इज तो है आज
मजबूत रिस्तै री पिछाण
बापड़ी दुनिया
दोनूं रै भेळप सूं रैवै
अणजाण।