मन मंदिर में तू आ / उर्मिल सत्यभूषण
ओ अम्बे! मेरी माँ
जगदम्बे! मेरी माँ
तेरी पुत्री बुलाती है
तू मेरे घर में आ
मन मंदिर खाली है
मन मंदिर डेरे ला
मुझसे चला नहीं जाता
मेरी बांह पकड़ के चला
मुझसे चढ़ा नहीं जाता
पहाड़ उतर कर आ
पहाड़ों वाली माँ!
ओ शेरो वाली माँ!
पहाड़ उतर कर आ
तू शेर पे चढ़कर आ
मैंने तो नहीं आना
यह जिद मेरी है माँ
माँ है गर तू मेरी
आ बेटी को गले लगा
मेरा बेड़ा डूब रहा
मेरा बेड़ा आंके बचा
मेरी दीपक बुझता है
मेरा दीप रहे जलता
ओ ज्योतिर्मयी माँ!
ओ ज्वालारानी माँ!
तलवार पकड़ के आ
त्रिशूल पकड़कर आ
जुल्मों पर उन्हें चला
पापों का मूल मिटा
तम में तू तीर चला
ज्योति से जग चमका
ओ तीरों वाली माँ!
त्रिशूलों वाली माँ
ये शस्त्र मुझे थमा
भुजबल, मनबल दे जा
ताकत का दे विरसा
ओ अम्बे मेरी माँ
निश्चय मेरा है माँ!
मन मंदिर लूंगी सजा
आशा का दीप जला
कर, लूंगी तुझे बिठा
तेरा मैं सहारा लेकर
यह जीवन दूँगी बिता
ओ अम्बे मेरी माँ
जगदम्बे मेरी माँ!!