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मन मिल्यां मेळो / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
मेळै अर भीड़ में
हुवै फरक
रात-दिन सरीखो।
भीड़
मन बायरी
मगज बायरी
जिणरो कोनी हुवै
कोई दीन-धरम।
मेळै रै नांव सूं
घेर-घुमेर नाचण ढूकै
मन रो मोरियो
मेळै मिस
हियै हरख
मूंडै मुळक
अर आंख्यां चमक
सतरंगी सपनां री।
मन मिळ्यां
हुवै मेळो।