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मन में चोर आँखि में बार / मृत्युंजय

मन में चोर आँखि में बार
मुँह में भाषण हे सरकार
कौने ठीहा गर्दन कटबा
कइसन करबा अब ब्यौहार

ज्ञानिन बध भये तोहरे राज
खेतिहर मर गए बिना अनाज
स्कूलन पे आगि बरसि गइ
देस भगति के निक त्यौहार

ई नगपुरिया माल सड़ा हौ
पँडवा नीयर भगत अड़ा हौ
नब्बे फीसद जनता छछनै
बरम मुहूरते खड़ी कतार

जा राजा तुहरो दिन आई
जनता तोंहके घंट देखाई
मिरतुँजे जी बाँचत हउवें
ई है लिखा लिलार