मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू / शकुंतला तरार
जब मैं अमरेंव गाँव के मुहाटी
लईका खेलत रिहिन भँवरा बाँटी
पीपर खांधा मा कूदत रिहिन बेंदरा
सईंतत गोबर मोला दिखिस मंटोरा
जान गयेवं इहिच्च मोर गाँव ए
जान गयेवं इहिच्च मोर गाँव ए
जान गयेवं इहिच्च मोर गाँव ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू
गाडी बईला कुदावत भईया घर आवे
लोटा पानी धरे भौजी मुस्कावे
बइहां लमाए दाई ददा आंसू ढारें
आंसू खुसी के मोरो आँखी ले बरसे
पाँव परेवं इहिच्च मोर धाम ए
पाँव परेवं इहिच्च मोर धाम ए
पाँव परेवं इहिच्च मोर धाम ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू
पंड़रू बछरू गईया रम्भावे
चौंरा के तुलसी माथ नवावे
गोंदा चंदैनी घप-घप घमके
फूफू दीदी फूफू दीदी नान्हे कुलकावे
कोरा धरेवं इहिच्च मोर मान ए
कोरा धरेवं इहिच्च मोर मान ए
कोरा धरेवं इहिच्च मोर मान ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू
सून्ना पर हे नरवा नदिया
सून्ना परे बूढी दाई के कुरिया
मन के पीरा ल काला बतावौं
कईसे भुलावौं मैं संगी जहुंरिया
भेंट करेवं इहिच्च सन्मान ए
भेंट करेवं इहिच्च सन्मान ए
भेंट करेवं इहिच्च सन्मान ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू