भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मन रुक गया वहाँ (कविता) / अमृता भारती

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन
रुक गया वहाँ
जहाँ वह था ।

नित्य और निरन्तर
गतिशील
लय की अनन्तता में

मन
रुक गया वहाँ
उसके अन्दर

जहाँ घर था ।