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मन रै चौबारै / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
गोळ डाइनिंग टेबल
थाळ्यां गोळ
बैठ्या गोळ गोळ
आम्हीं-साम्हीं
दादी-दादो
माऊ-बाबो
बहू-बेटा।
स्कूल सूं आया टाबर
बस्तै सागै
उतार खांदै सूं बाळपणो
ओढ्यां चादर चिंता री
जोवै आम्हीं-साम्हीं।
मळमळावता..
मूंडै
रोटी नीं.!
सुवालां रा गासिया।
पण
बोल-डरपै..!
निजरां-झुकै..!!
टटोळता खूणां
मूंडां-लुकै..!!!
पसरयो सरणाटो
सगळा मून.....!
जबाब नीं तो नीं सरी
सुवाल तो लड़ै
खोसै जट्ट..
खींचै टांग अेक दूजै री
मन रै चौबारै।