मन से अग्ने / बलबीर राणा 'अडिग'
क्षितिजक पार दुन्यां होर ब्बी चs
गैणु से मथि अगास होर ब्बी चs
नि समझण अबैर तें आखिर पड़ौ दग्ड़या
त्येरी हस्ती की मंजिल अग्वेड़ होर ब्बी चा।
पीड़ाs अर मुंडारु भौत च ये संगसार मा
चीरी मंचण वाळी अग्ने होर भी चs
दयेखि जु रंग अर शबाब अज्यूँ तक यख
फुनों से भर्रयूँ चमन अग्ने होर ब्बी चा।
ना घबड़ा हे दग्ड़या जरा सी बाळो ढांगा से
क्वशों रेगिस्तान पार कन होर ब्बी चs
यु त छव्टू सी इंत्यान छयी जिंदगी कु
धूर्पला तें महासंग्राम होर ब्बी चा।
भिज्यां माया का बाद ब्बी ज्यू टूटण दयेखि अगसर
चट-चटाक ज्यू मा बसण वाळा होर ब्बी चs
खप जांदी उमर ये मायादार मिजात समझण मा
याद रख्यां बंसत का बाद ज्योठक घाम ब्बी च।
नि कन घमण्ड ते रोंठयाळी ज्वानी कु चौ बाटा मा
भिज्यां कामदेब भितर गोळओं मा होर ब्बी चs,
ना कर नकल खर्कचौळ कन वाळओं की,
वों कु बसेरा तड़ी पार होर ब्बी छिन।