Last modified on 22 फ़रवरी 2010, at 04:58

ममता / रहें ना रहें हम, महका करेंगे बन के कली

रचनाकार: ??                 

रहें ना रहें हम, महका करेंगे बन के कली
बन के सबा, बाग़े वफा में ...

मौसम कोई हो इस चमन में, रंग बनके रहेंगे हम खिरामा,
चाहत की खुशबू, यूँ ही ज़ुल्फ़ों से उड़ेगी, खिजां हो या बहारां
यूँ ही झूमते, यूँ ही झूमते और खिलते रहेंगे

खोए हम ऐसे क्या है मिलना क्या बिछड़ना नहीं है याद हमको
कूचे में दिल के जब से आए सिर्फ़ दिल की ज़मीं है याद हमको,
इसी सरज़मीं, इसी सरज़मीं पे हम तो रहेंगे,

जब हम न होंगे तब हमारी खाक पे तुम रुकोगे चलते चलते ,
अश्कों से भीगी चांदनी में इक सदा सी सुनोगे चलते चलते ,
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम तुमसे मिलेंगे,
बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में ...