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मम्मी को / जियाउर रहमान जाफरी
Kavita Kosh से
मम्मी को कुछ समझ ना आती
जब वह शॉपिंग करने जाती
कभी ढंग की चीज न लाएँ
फिर बेमतलब क्यों वह जाएँ
लाने कपड़े जब जाती हैं
बड़ा उठाकर ले आती हैं
उन्हें पता है मैं छोटा हूँ
नहीं मैं इतना भी मोटा हूँ
मुझको वह तो अट न आए
पांव से बाहर तक हो जाए
तब कहती वह बनकर चालू
अगले साल पहनना शालू
अब इनको यह कौन बताए
किसको फुर्सत है समझाए
सब कपड़े जब बड़े रहेंगे
हम पार्टी में कहाँ चलेंगे