मरता नहीं है कोई किसी के लिए मगर
जी पाया भी कभी न अकेला कोई बशर
यों ही बने ये घर न तो यों ही बना समाज
यों ही बसे न गाँव, न यों ही बसे शहर
मरता नहीं है कोई किसी के लिए मगर
जी पाया भी कभी न अकेला कोई बशर
यों ही बने ये घर न तो यों ही बना समाज
यों ही बसे न गाँव, न यों ही बसे शहर