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मरना / महमूद दरवेश
Kavita Kosh से
दोस्तो! आप उस तरह तो न मरिए
जैसे मरते रहे हैं अब तक
मेरी विनती है- अभी न मरें
एक साल तो रुक जाएँ मेरे लिए
एक साल
केवल एक साल और-
फिर हम साथ-साथ सड़क पर चलते हुए
अपनी तमाम बातें करेगें एक दूसरे से
समय और इश्तहारों की पहुँच से परे-
कब्रें तलाशने और शोकगीत रचने के अलावा
हमारे सामने अभी पड़े हुए हैं
अन्य बहुतेरे काम।
अनुवाद : यादवेन्द्र