भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मरने के कारगर तरीके / अनुराधा सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वापस न आना चाहो तो
एक स्पर्श में छोड़ आना खुद को
एक आँख में दृश्य बन कर ठहर जाना वहीं
जीवित रहने के इतने ही हैं नुस्ख़े
चकमक पत्थर से नहीं
दियासलाई से जलाते हैं अब आग
नष्ट होने का सरलतम उपाय अब भी प्रेम है
वह भी न मार सके
तो एक डाह अँगीठी में
सुलग बुझना

हिंसा से न मारे जाओ
तो धोखा खा कर मर जाना
प्रतीक्षा से मिट जाना असंभव लगे तो
संभावनाओं में नष्ट हो जाना
एक दिन भीड़ में ख़त्म करना खुद को
शोर में खो जाना
जब मरने के परंपरागत तरीके नाक़ाम हो जायें
तो खुद को जीने में खपा देना

औरतें गालियों से घट रही हैं यह एक सपना है
आदमी का अपने समय से घट जाना है दुःस्वप्न...