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मरने से भी पहले मर गए थे / परवीन शाकिर

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मरने से भी पहले मर गए थे
जीने से कुछ ऐसे डर गए थे

रस्ते में जहाँ तलक दिए थे
सारे मिरे हमसफ़र गए थे

आँखें अभी खुल नहीं सकी थीं
और ख़्वाब मिरे बिखर गए थे

जब तक न खिला था उसका वडा
मौसम मिरे बेसमर गए थे

मिलता न था वापसी का रास्ता
क्या जानिए हम किधर गए थे