Last modified on 30 नवम्बर 2020, at 23:46

मरन सो हक रे है बाबा / बहिणाबाई

मरन सो हक रे है बाबा
मरन सो हक है॥
काहे डरावत मोहे बाबा,
उपजे सो मर जाये भाई।
मरन धरन सा कोई बाबा,
जनन-मरन ये दोनों भाई।
मोकले तन के साथ
मोती पुरे सो आपही मरेंगे,
बदनामी झुठी बात॥
जैसा करना वैसा भरना,
संचित ये ही प्रमान।
तारन हार तो न्यारा है रे,
हकीम वो रहिमान॥
बहिनी कहे वो अपनी बात,
काहे करे डौर (गौर)।
ग्यानी होवे तो समज लेवे,
मरन करे आपे दूर॥