Last modified on 9 फ़रवरी 2016, at 10:53

मरुंगी मेरी आश नहीं सै जीण की / मेहर सिंह

वार्ता- उधर राजकुमारी पदमावत पर भी ईश्क का भूत सवार हो जाता है और वह रणबीर सैन के विराग में खोई-खोई सी रहती है और एक बात के द्वारा अपनी सखियों से क्या कहती है

मत दुखिया नै घणी सताओ हुई पड़ी सूं घायल
मरुंगी मेरी आश नहीं सै जीण की।टेक

सूकगी या कली पड़ी थी काची
मेरी तुम बात मान ल्यो साची
चाहे आछी बुरी बताओं ना ऊंच नीच का ख्याल
रही ना गई अक्ल बिगड़ मती होण की।

मेट दो झगड़े और पेशी नै
के सुख हो मेरे केसी नै
उस प्रदेशी नै पता जताओ आज नहीं तै काल
दवाई कुछ दे ज्यागा मनै हे पीणा की।

पल दो दुःख टाले तै टल जाते
बहाण थारी पेशी मैं चल जाते
मिल जाते चाहे मत आओ या काली नाग कमाल
नाथ जब लय सुणै तेरी बीन की।

म्हारे तै सतगुरु लखमी चन्द
मेहर सिंह ज्ञान बिना मती मन्द
छन्द के बोर भरे ना रताओ रहे दमा दम चाल
फैर जणु गोली गन मशीन की।