मर्द और औरतें / वोल्फ़ वोन्द्राचेक / उज्ज्वल भट्टाचार्य
जिन औरतों से मैं मिला, उन्हें मर्दों की ज़रूरत थी ।
मैं मर्दों से मिला, जिन्हें औरतों की ज़रूरत थी.
लेकिन औरतें अकेली थीं
और मर्द निस्संग ।
कभी-कभी मामला सलट जाता था ।
कभी-कभी शराब के बिना भी सलट जाता था ।
कभी-कभी कुछ एक हंसते थे और एक-दूसरे से प्यार कर लेते थे
कुछ समय के लिये, एक रात या एक साल के लिए ।
लेकिन सातवें आसमान पर सिर्फ़ रूसी
और अमरीकी थे ।
मैंने मुर्दा विजेता
और चेहरा रोगन किए पराजित देखे ।
निराश, बेचैन,
ख़ुदकुशी करने वाले ।
मैंने मर्द और औरत देखे ।
मैंने औरतों को प्यार का इन्तज़ार करते देखा
और मर्दों को औरतों का इन्तज़ार करते देखा ।
मैंने मर्दों और औरतों को ऐसे इनसान ढूँढ़ते देखा
जिनके यौनांग मर्दों और औरतों से
अलग ही क़िस्म के हों ।
मैं ऐसे मर्दों और औरतों से मिला
जिन्हें दोनों के बीच फ़र्क़ गुज़रे ज़माने का लगा
और वे वयःसन्धि के दिनों में लौट गए
अपने जिस्म में पराये हार्मोन ढोते हुए
और एक दूसरी परीकथा ढूँढ़ते हुए,
जिनकी कहानी
स्वर्ग तक वापस जाती है.
हर सवाल-जवाब में जीत होती है कोमलता की...
लेकिन कोमल औरते, कोमल मर्द...
इससे मिलेगा क्या ?
और मर्द सिर्फ़ अपने साथ कोमल थे
और औरतों के ज़ेहन में सिर्फ़ औरतें थीं
और अपनी सोच में बेलगाम,
एक पुराना क़िस्सा, पुराने प्रेमपत्रों से भी पुराना ।
और मर्द – क्या वे अब भी मिलते हैं ?
और औरतें – कहाँ रह गईं वे ?
यह है क्या,
यह जानवर,
जो मर्द और औरत से बना है,
और जिसका अभी जन्म नहीं हुआ है ?
कुछ एक मर्द बोलते हैं.
कुछ एक औरतें जनती हैं ।
एक चीख़ के साथ बलि के बकरे का जन्म होता है
और जीते रहने और मरते रहने के लिए उसे आगे धकेल दिया जाता है
दहशत की गूँज के बीच ।
यह सबसे ख़ूबसूरत जंग है.
पाशविक प्रेम और रुमानी हिंसा
और क़िस्मत का सर्द विस्फोट
सूरज के ख़िलाफ़ ।
मैं मर्दों से मिला, जिन्हें औरतों की ज़रूरत थी ।
जिन औरतों से मैं मिला, उन्हें मर्दों की ज़रूरत थी ।
शुरुआत और अन्त दोहराए जाते हैं
मुर्दे मौसमों की तरह ।
हर बार प्यार-व्यार के बाद अगली याद
और उसके बाद भूल जाना,
जो कभी ख़त्म नहीं होते।
और कभी न कभी हम सभी साथ खड़े होते हैं
किसी बार या बसस्टॉप पर
या किसी खिड़की पर
और पीते रहते हैं
और इन्तज़ार करते हैं
और गिर पड़ते हैं ।
मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य