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मलहा-खोजना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे खोजें तो लागल रे चांदो छबाकोरो मलाहारे।
होरे पचीस-पचीस बरस केर मलहा आने ले रे॥
होरे सवेजे बिआहल रे दैबा कोई नहीं कुँवारे रे।
होरे छवों ओरी मलाहा रे दैबा कैलकै तैयार रे॥
होरे धन तो सरबर रे बनियाँ चढ़ा बेरु लेले रे।
होरे सातम आपने रे चान्दो खेले पांसा सारी रे॥