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मलाला सिर्फ एक नहीं है... / अंजू शर्मा
Kavita Kosh से
आँख से बहते
आंसू के हर कतरे का
व्यर्थ बह जाना भी
आज पाप माना जायेगा,
आओ, कि बदल दे उसे रक्तबीज
में जो उबल रहा है
मेरे और आपके सीने में,
सूंघ लो फिजा में घुलते
उस ज़हर को
जिसका निशाना है कमसिन
मुस्कुराहटें,
इससे पहले कि वो मासूमियत
बदल जाये
कब्र पर रखे सफ़ेद फूलों में,
जज़्ब कर लो हर उसे दिल में
निशानची ये जान ले
कि मलाला सिर्फ एक नहीं है...