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मसाइब और थे पर दिल का जाना / मीर तक़ी 'मीर'
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मसाइब और थे पर दिल का जाना
अजब इक सानेहा सा हो गया है
सरहाने मीर के आहिस्ता बोलो
अभी टुक रोते-रोते सो गया है