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मस्तक तले तकिया / हेमन्त शेष
Kavita Kosh से
पत्नी पड़ोस में
कमरा धुंध से बाहर आता
खिड़की में उजाला
चाय की तलब
बासी ख़बरों से भरा ताज़ा अख़बार
मिला खोलते ही फिर आज भी हू-ब-हू
ठीक बीते कल जैसा संसार