बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
मस्त मतवारे दानवारे गज तीन कोट,
चार कोट चर्ष चारू चन्दल विधान है।
साँढिया सवारन पाँच कोट लों संवार को,
आठ कोटजान सान माल के समान है।
ईसुर चतुरंग चमूँ कोट साठ देखी मैं,
साहब की साहबी सरस बेवखान है।
एतो बरात जात साथ लिये अवधनाथ,
आकत दैं डंका, चोब धूमत निसान हैं।