भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
महलोॅ में रहै वाला बड़का टा लोग तोहें / अनिल शंकर झा
Kavita Kosh से
महलोॅ में रहै वाला बड़का टा लोग तोहें
झोपड़ी में रहैवाला हमरा की जानभौ।
हीरा-मोती गिनैवाला सोर सूप पियै वाला
माडो लेली तरसै छी कहो केना मानभौ।
नामो के दीवार तोरो सोना के पहाड़ तोरो
छोटो छिनो जान लेली कहो केना कानभौ।
हमरो चुबै छै घाम मिलै छै तोरा जे दाम
रामराज कथी लेली कहोॅ तोहें लानभौ॥