भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

महाक्रान्ति का झटपट नूडल / संजय चतुर्वेद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सीत्कार हुंकार हो गई
फूत्कार ललकार हो गई
जन्नत भीतर ग़दर हुआ है
इन्कलाब में हुनर हुआ है

सब कुछ सब कुछ सब कुछ सब कुछ
कुछ नईं कुछ नईं कुछ नईं कुछ नईं
वतनपार-आतंकवाद की नई-नई कुछ खाद लगी है
सुविधाओं के गमले में कुछ लाल रंग के फूल खिले हैं

आयातित सरमाए के भी भाँति-भाँति के रंगबिरंगे
लचक भचक की लल्लू-लम्पट नारेबाज़ी बोल रही है
हर ज़लील हरक़त के हक़ में हैं हिसाब के नए सूरमा
महिला को जननाङ्ग दिखाते इन्कलाब के नए सूरमा

कलाकार व्यभिचार कुचाली खुसुर-पुसुर के सटक-शिरोमणि
राजकुँवर के वरदहस्त से अन्टा चढ़ी नकेल लगी है
पेशेवर पाखण्डी चमचे रूपवाद के लटक-शिरोमणि
मार्क्सवाद सब गया भाड़ में नाट्यवाद की सेल लगी है

तड़ीबाज़ गुरुओं का गूगल
महाक्रान्ति का झटपट नूडल
इसके भीतर कौन छुपा है
यह तिलिस्म कुछ होशरुबा है

ले सिस्टम से माल-मलाई अभय कुञ्ज के भीतर खिसको
अभी तो पार्टी शुरू हुई है इन्कलाब का चौकस डिस्को
वर्ग युद्ध की बड़ी लड़ाई रिन्कू-पिन्की करें चढ़ाई
सारे सन्त सुमन बरसावें जै जै धुनि चहँओर बधाई

मुबारक हो बच्चा बड़ा हो रिया है
मुबारक हो बन्दा ख़ुदा हो रिया है
मुबारक हो सबको समां ये सुहाना
ठहर के तो देखो जे क्या हो रिया है ।

2016