महातथ्य / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
आइ पुनि गोकुल-गलीमे किए हमरा बजा रहलहुँ?
शरद चंदक यामिनीमे किए ब्रज वन सजा रहलहुँ?
किए यमुना-पुलिन पुलकित कय रहल छी नयन नलिनेँ?
किए मधुमय समय पुनिमक पर्व पुजबी मलय पवनेँ?
सजनि! राधा विरह-बाधा दूर करबा लय न आयब
आइ वृन्दा - कुंजमे किन्नहु न हम रस रास गायब
हस्तिनापुर-इन्द्रप्रस्थक दृश्य दुर्गत द्यूत कैतव
सुनि रहल छी जखन शकुनिक दाओ-पेंचक निधिन करतब
एकवसना द्रौपदीकेर लाज अंचल जखन लुंठित
गेल गलि - पचि पंचजन युगपुरुष पौरुष परुष कंुठित
टेर कृष्णा केर कृष्णक कान धरि दु्रतगति सुनयबै
असह केशक कथा केशवकेँ खनहु बिसरय न देबै
द्वारका प्रासादसँ रणछोड़केँ अरि - रंग - मचे
रण - निमन्त्रण देब, छूटत छनहि जत गृह - रस प्रपंचे
पार्थसारथि हाथमे रथ - रासि देब थम्हाय जा कय
पांचजन्यक घोषमे गीताक अमृतऽध्वनि सुना कय
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व्यास व्यस्त सरस्वती - तट महाभारत विरचना हित
तुरित गणपतिकेँ जुमायब चेतना दय लेखना हित
पार्थ-सारथि रचथु भारत महा तथ्य सुझा रहल अछि
मधुर-माहुर भागवत रस-रास एखन बुझा रहल अछि