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महातम खोइंछा के / सरोज सिंह

विदाई के बेर
माई देले अचरा में
मुट्ठी भर चाउर
पाँच गोटा हरदी
दूब आउर सिक्का
कहे के थोर होला
बाक़ी एमे भरल रहेला
नेह छोह दुलार
अखंड सौभाग्यवती और
सुखमय जीवन के
आसिरबाद अपरम्पार