भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

महानगरीय कवि / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाँव-क़स्बे और जनपद का कोई कवि
महानगरीय कवि के दर्शन करने को
लम्बी-यात्रा तय करता है
स्वांतः सुख-सा महसूसता है
धन्य पाता है स्वयं को

जबकि
महानगरीय कवि
गाँव-क़स्बे और जनपद
पहुँचने के एवज़ में
चाहता है टानना
मोटी रक़में
गर्म-शाल !