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महानगर की बस में / हरीश करमचंदाणी

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भीड़ भरी बस में
अनजाने में कुचल गया पांव
माफ़ करना भाई, कहा सहयात्री ने
 
अच्छा लगा
दिया घाव
पर बहुतदिनों बाद मिला
एक आत्मीय संबोधन