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महान आदमी / मनमोहन

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महान आदमी की पूजा करो

मत झाँको उसके तहख़ाने में


हो सकता है कोई बच्चा वहाँ बंद हो

सुनाई दे किसी उदास और अकेली स्त्री के

रोने की आवाज़


या कुछ शव बरामद हों

कुछ गुमशुदा लोगों के शव

मिले कोई छुरा जिस पर ख़ून सूख चुका हो


कई गवाह ऎसे हैं

जो इसी शहर में हैं

या दूर के किसी छोटे-से कस्बे में

जहाँ किसी बीमार बल्ब की रोशनी में

अभी तक खाँसती है खटिया पर कोई बुढ़िया

जब बड़े सबेरे नालियों में पानी छूटता है


उन तक न पहुँच जाना

राजधानी के इसी हाल तक रहना


उस कस्बे में एक पड़ोसी था जो हार गया

एक सहपाठी था जो कहीं बीच में लापता हो गया


वे अपनी तरह बड़े थे

उन्होंने बड़े काम किए थे ऎसे जिनके कोई खाते न थे


एक स्त्री थी एक साधारण गिरस्तिन

उसकी बहादुरी के किस्से

दिल दहला देने वाली रोमांचक कथाएँ

कोई आसानी से जान न सकता था


अभी भाषा का कारोबार इतना आगे न बढ़ा था

ख़ैर छोड़िए

आइए, फ़िलहाल महान आदमी को पुरस्कृत करें / उसे नहलाएँ धुलाएँ सजाएँ

वह बूढ़ा होता जाता है, आइए उसे पीठ पर ढोकर ले चलें

पालकी हो तो और अच्छा है

इस नश्वर समय में उसे किसी तरह

अमरता के यान तक पहुँचाएँ


वह पचास का हुआ, साठ का हुआ

पचहत्तर और अस्सी का हुआ

वक़्त निकला जाता है

कुछ तो करें


लेकिन वह जाएगा कहाँ

कुछ न हुआ तो उसका बुत्त बनाएंगे

हर साल उसकी ड्‌‌यौढ़ी पर आएंगे


उसके शब्द दोहराएंगे, गुण गाएंगे

अपने-अपने बाजे लाएंगे

और बारी-बारी से उन्हें बजाकर दिखलाएंगे

तभी कुछ चैन पाएंगे