भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
महाभाव-रसराज स्वयं श्रीराधा-माधव युगल-स्वरूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
महाभाव-रसराज स्वयं श्रीराधा-माधव युगल-स्वरूप।
परम उपास्यदेव शुचि प्रेमीजनके नित्य नवीन अनूप॥
मदन अनन्त मनोहर, जानी-योगी-जन-मन-मोहन रूप।
सदा बसें मेरे मन-मन्दिर लोक-महेश्वर, सुरपति भूप॥