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महामानव ई.बी. रामास्वामी नायकर / सी.बी. भारती

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सम्मान—
जिसकी ललक लिये सदियों से
देश का शोषित समाज—
जूझता रहा—
जीवन भर घृणा व उपेक्षाओं से
और
उनके आत्मसम्मान
के अहंकार की अग्नि में—
स्वाहा होता रहा उनका आत्मसम्मान

करता रहा वह—
दूसरों की सेवा
मजबूरीवश
झिड़कियों व गालियों के बीच
दूसरों की जूठन पर—
भरता रहा उसका पेट

ऐसे में उसने
एक उद्बोधन दिया
आत्मसम्मान का
जो मात्र शब्द नहीं— आन्दोलन बन गया।
महाबलीपुरम की धरती से निकल
पूरे देश में फ़ैल गया
मिली नयी परिभाषा
हुए नतमस्तक करोड़ों सिर
महामानव नायकर के पथ में।