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महामाया / सूर्यदेव सिबोरत

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तुम्हारे दिए हुए
तमाम कांटों के बदले
बड़ी हसरत के साथ
गहरी मुहब्बत में डूब कर

यह फूल
उगाया है मैंने
तुम्हारे लिए
इसे ले लो ।
'नहीं' ।

टूटी उम्मीदों
और
बुझती तमन्नाओं के आंसुओं से
सींचकर
यह
दूसरा फूल उगाया है
तुम्हारे लिए
मंजूर करो इसे ।
'नहीं' ।

दिल के खून सींचकर
यह आखिरी फूल
अर्पित है
तुम्हारे चरणों में
स्वीकार करो ।
'नहीं' ।

नहीं ?
तो एक इच्छा है
आखिरी मेरी
इसे करोगी पूरा?
'क्या' ?

यह फूल
जब मेरी अर्थी उठे
तब रख देना
मेरे
सिरहाने ।
'नहीं' ।