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महाराज समझे कि ना / अक्षय उपाध्याय

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अगड़म बम बगड़म बम
तिरकिट धुम तिरकिट धुम
धूम धूम
धूम धूम

नाचेगा नाचेगा
मालिक वो नाचेगा
नाच जमूरे नाच तू
नाच जमूरे नाच तू

नाचा हे नाचा
हुज़ूर नाचा नाचा
देखें तो देखें
सरकार ज़रा देखें
नाचा वो नाचा
अगड़म बम बगड़म बम
तिरकिट धुम तिरकिट धुम
तिन्नाना,
तिन्नाना तिन्नाना
महाराज समझे कि ना
हाँ हाँ समझे कि ना ?

नहीं समझे मालिक ये
हंडी का नाच है
उल्टी जो पुतली है,
उसकी सारंगी पर
पाग़लों का साज है
पेट की ढोलकिया है
पीठ का यह तकिया है
आत्मा की खटिया है
सीने के भीतर की जलती मशाल है

बाक़ी सब झूठ-मूठ
बाक़ी सब झूठ-मूठ
पग़ला ख़याल है

हवा साली ग़ुम
अगड़म बम बगड़म बम
तिरकिट धुम तिरकिट धुम
तिन्नाना,
तिन्नाना तिन्नाना
महाराज समझे कि ना
हाँ हाँ समझे कि ना ?

ऊपर पुआल है
ख़ाली वो चौका है
बाहर के आँगन में
मालिक का मौक़ा है
खाते हैं आपका
गाते हैं आपका
पाती भी लिखते तो
चरचा जनाब का
बिल्कुल ये अपने हैं
आपके ही सपने हैं
सीटी बजाते ही
हिलते हैं डुलते हैं

खाली पीली बुम
अगड़म बम बगड़म बम
तिरकिट धुम तिरकिट धुम
तिन्नाना,
तिन्नाना तिन्नाना
महाराज समझे कि ना
हाँ हाँ समझे कि ना ?

टोली है लड़कों की
खोली है मालिक की
खाते हैं साले सब
गोली भी हाक़िम की
फिर भी सयाने हैं