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महाराज / नंद चतुर्वेदी

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लीजीए, महाराज, यह रहा आपका ‘डेन्चर’
अच्छी तरह भोजन करें
यह रही आपकी ‘हियरिंग एड’
किसी का नाम कुछ-का-कुछ न सुनें
यह रहे आपके नैत्र
न होने पर दुर्घटनायें नज़र नहीं आती आपको
यह रही आपकी ‘नेक कॉलर’
इस से गरदन झुकेगी नहीं आपकी
यह रहा आपका ‘चाइनीज़ मफलर’
गरम, कोमल और रंगीन-जुखाम खाँसी से बचने के लिए
यह रहा पशमीना
इसे ओढ़कर आप भाषण करें
गरीबों के लिए

यह रहा आपका भाषण
वही प्रतिज्ञाओं वाला जिन्हें आप बार-बार दुहराते हैं
इस बार कुछ विशेष विस्तार और आड़म्बर के साथ
यह रहे आपके खड़ाऊनुमा ‘शूज’
ऋषि वशिष्ठ जैसे
यह रहा सिंहासन कुशासन (कुश आसन) बिछा है जिस पर
विदेह की तरह निर्लिप्त वीतराग लगने के लिए
(यहाँ दावानल है महाराज
सारे ताल, कृष्ण वर्ण मेघ, नयी कोंपलों वाले वृक्ष
क्षुब्ध लाल रंग के हो रहे हों जैसे
आप डरें नहीं महाराज
आप अपने ही धर्म प्राण पुरजन वासियों के बीच हैं)

धर्म ग्रंथों में बहुत सी ऊल-जलूल बातें लिखी हैं
जैसे छोड़ना, जैसे अपरिग्रह, जैसे वीतराग
जैसे सन्यास, जैसे करूणा
वह सब समर विजेताओं के लिए नहीं दास लोगों के लिए हैं
आपकी जन्मकुंडली में
सब कुछ चमकता, दमदमाता, अलोकमय है, महाराज
पुराने प्रपंच, पुरानी पराजय, पुरानी विस्थापनायें
वहाँ गठरी में बाँधकर रख दी गई हैं

विजय हो चुकी है महाराज
नये ऋषि-पुत्र, साधुजन, साध्वियाँ यहाँ आ गयीं हैं
वे आपकी वंदना, आपके नाम का कीर्तन कर रही हैं

उत्सव शुरू हो गया है महाराज
वृद्धा वासवदत्ता को यहाँ आने की अनुमति नहीं है
प्रौढ़ होती वसंतसेना कैंसर पीड़िता हैं
लावण्यमयी, उल्लसित उर्वशी
सीधी मदनोत्सव ये यहीं हा रही हैं
कपिलवस्तु के वंचित, विपिन्न लोगों का जलूस
लौटा दिया गया है
श्रेष्ठिजन, सामंत राजरानियाँ आपकी सेवा में हैं

दूसरे दिन युवा नृत्यांगना उर्वशी के साथ
‘डेन्चर’ सुशोभित महाराज की तस्वीर
देश के सभी बड़े अखबारों में
टीवी चैनलों पर प्रदर्शित होती है
कपिलवस्तु के क्षुधार्त्त नागरिकों के लिए
इस तरह होता है नये शासन का शुभारंभ।