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महासमर / उमेश बहादुरपुरी

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कब तक धीरज धरिओ हम, बोलऽ रणधीर कहाँ हऽ?
एक धनंजय महासमर में बाकी वीर कहाँ हऽ
के हा वीर धुरंधर किनका कहिओ हम्मे अधीरथी
समझ रहला हे सब्भे अपना अपना के सब महारथी
तोहर मगही मइया रोबे लकीर के फकीर कहाँ हऽ
एक ....
चार करोड़ हे जेक्कर बेटा बाँधके चले मुरेठा
ओक्कर मइया दर-दर भटके ढह-ढह गिरे कनेटा
तोहनी छइते गिर-गिर जाहूँ बोलऽ बलवीर कहाँ हऽ
एक ...
खेल रहला हें खेल सभे कादो फेंका-फेंकी के
लगल आग बुझे के चाही नञ् चाह रहे हँथसेकी के
घुप्प अँधरिया मिटाबेवाला बोलऽ तनवीर कहाँ हऽ
एक ....
तोहर करनी देख रहलों हें सउँसे मगही-जगत
तोहर सेवा के की कहना? बाह रे बगुला भगत
सब वीरन पर तूँही भारी बोलऽ महावीर कहँ हऽ
एक ....
हँथगर गोड़गर भुजगर देखे में सब लागऽ हें
जब साथ देबे के बारी आबे छिटक-छिटक के भागऽ हऽ
हर रण में आगू रहेवाला बोलऽ रणवीर कहाँ हऽ
एक ....
केकरा सजा मिले के चाही केकरा करिओ दंडित
हमर समझ से सब्भे हा मगही के पोंगा-पंडित
स्वार्थ सिद्धि ले लग्गल हा सब परमारथ वीर-कहाँ हऽ
एक ...
अपने में जब लड़ते रहबा की देखबा अप्पन माय के
जे भी रहऽ हऽ शीर्ष पर बैठल कोशिश करऽ हऽ खाय के
अब तोहनी के राम सम्हारथुन, हे रघुवीर कहाँ हऽ
एक ...