महा शोर भयौ महा शोर भयौ मरे हरदौल / बुन्देली
महा शोर भयौ महा शोर भयौ मरे हरदौल भात दयौ महा शोर भयौ।
लाला की मरनी कछु बरनी न जाये मड़वा के नीचे सामान न समाय।
दान दायजो सुहाय सुवरन चाँदी जवहर सब नयो नयो। मरे हरदौल...
भोजन करवे कों जब बैठ गई बरात होन लगी परस कछु कही न जात।
कड़ी बरी दार भात बरा शक्कर साथ अनंद भयौ अनंद भयौ। मरे हरदौल...
मैदा के फुलका औ माड़े घी दार कैशरिया भात की सुगंध है अपार।
प्रेम सत्य को विचार करत आगे उच्चार जोग जोर दयो जोर दयो। मरे हरदौल...
छिपत रूप हो कें घी परसे हरदौल, देख के बराती वा गडुआ कौ डौल
दिल हौन लगौ हौल भूल गये सभी चौल दूल्हा मचल गयौ मचल गयौ। मरे हरदौल...
जब लौं परसइया के दर्शन नई पायँ तब लौ हम भोजन के गिरास न उठायें
चाहे भूखन मर जायें चाहे प्यासन मर जायें चाहे जुग बीत जायें प्रण यही भयौ।
लाला ने देख कें दूल्हा को प्रण हो कें प्रतक्ष रूप दरस दयो दरस दयो। मरे हरदौल...
भोजन सन्मन बैन माँगे वरदान भव जान गयौ भव जान गयौ। मरे हरदौल...
सुनियो हरदौल भैया मेरी चित लाय कन्या के जग्ग में करियो सहाय।
जैसी मोय करी आय ऐसी जगत खों दिखाय बात मान गये बात मान गये। मरे हरदौल...
कुँजावती बैन कों सो दे कें वरदान लाला हरदौल चले अपने स्थान छंद पूरन भयौ
छंद पूरन भयौ। मरे हरदौल भात दयौ महा शोर भयो।