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महिमा ना मुझसे कुछ, जाये बखानी / चन्द्रगत भारती

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छवि गंगा जी की है कितनी सुहानी
महिमा ना मुझसे कुछ, जाये बखानी।।

निकली कमन्डल से ब्रम्हा के आयीं
शिव की जटाओ में फिर वें लहरायीं
महापाप नाशक है माँ की कहानी।।

राजा फकीर हो भेद कब करतीं
पुत्रों का अपने वें पाप सब हरतीं
देवों से बढकर हैं मात वरदानी।।

खुश होतीं माता तो, सुधा बरसातीं
जन जन के ह्रदय को मैया हर्षाती
करता नमन जग ये शिवा की शिवानी ।।